Allama Iqbal Shayari in Hindi:- आज मैं आपसे अल्लामा इकबाल की शायरी के बारे में बात करूंगा। इकबाल की शायरी में आत्म-विश्वास और खुदी की ताकत की झलक मिलती है। उनकी कविताएं इंसान को अपने भीतर छुपी शक्तियों को पहचानने के लिए प्रेरित करती हैं। इकबाल ने देशभक्ति और नई सोच को बहुत खूबसूरती से अपने शब्दों में पिरोया है। उनकी हर एक शेर में जीवन को बेहतर बनाने की राह दिखाई देती है।
आज भी उनकी शायरी युवाओं के दिलों को छूती है और उन्हें मजबूत बनाती है। इकबाल की कविताएं न केवल भाषा की सुंदरता दिखाती हैं, बल्कि उनमें गहरा संदेश भी होता है। उनकी सोच हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने का हौसला देती है। अगर आप अपनी ज़िन्दगी में बदलाव चाहते हैं तो इकबाल की शायरी आपके लिए एक अनमोल तोहफा है। उनकी कविता सीधे दिल तक पहुँचती है और सोच को जागृत करती है।
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी رضا क्या है
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
ख़ुदी का सर-निहाँ लाअल्लाह इल्लल्लाह
ख़ुदी है तग़-ए फ़साँ लाअल्लाह इल्लल्लाह
तू शाहीन है, परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमां और भी हैं
ना था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
डूबोया मुझको होने ने, ना होता मैं तो क्या होता
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे
रह-ए इश्क़ में हर कदम पे मरना है लाज़िम
धूप में जलना है लाज़िम, खून में नहाना है लाज़िम
ना किसी की दुआ का मुहताज हूँ ना किसी की सदा का
मेरी मंज़िल है सहाराओं की गूँज में कहीं
आतिश-ए दिल हूँ, मुझे बुझाना न चाह
मैं हूँ वही जो मेरा ज़माना न चाहे
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
इसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
अपनी जात का ताज मेरा सर है
ग़ैर की बातों का असर नहीं मेरे अंदर है
इल्म की दुनिया में इक़बाल ने چرाग़ जलाया
अंधेरों को वही राह दिखाता आया
कभी ख़ुदी को न कमज़ोर समझो
यही है तुझ में खुदा की कुदरत का इज़हार
ना था तो कुछ ना था, ख़ुदा था
अब भी हूँ, तो ख़ुदा के निशाँ हूँ मैं
जिसने भी है दिल में उम्मीद जगाई है
यहीं की है तक़दीर में रोशनी लाई है
चराग़-ए दिल जलता है रोशनी के लिए
यही है ज़ीस्त की असल ख़ूबी के लिए
आओ कि तज्दीद-ए ज़िंदगी है वक़्त
हुआ है मौसम भी जवानी का
ख़्वाब वो नहीं जो हम सोते हुए देखें
ख़्वाब वो हैं जो हमें सोने न दें
ताक़त-ए परवाज़ रख, उड़ता जा अफ़ाक़ से आगे
तेरी मंज़िल में हैं बहुत से ख़्वाब सजाए हुए
वही जीता है जो रुका नहीं कभी
वही आया है जो रुका नहीं कभी
ना झुको कभी, ना घबराओ, ना डर
यही है तेरा नसीब, यही है तेरा घर
मोहब्बत की राह में जो भी आया
धूप भी सहा, तूफ़ाँ भी सह गया
क़ौवत-ए अक़ल को जगा, रोशनी बना
दुनिया को अपना ख़राज़-ए-इक़ीदत दे
ख़ामोशी में भी एक सदाए दिल है
जो इक़बाल की शायरी में बदला है
वही कमाल की है जो अपने आप से लड़े
और हर दम अपने आप को बेहतर बनाए
ना हो ग़रां तेरा ग़म किसी मालिक के लिए
दरिया में है तूफ़ाँ, तूफ़ाँ के लिए
वही कामयाब है जो खुद को पहचान ले
इक़बाल की शायरी यही तो बताती है
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि परवाज़ कर सके
पहाड़ों से बुलंद, आसमां के पास जा सके
मोहब्बत की ज़ुबां में सब कुछ कहा जा सकता है
दिल की हर धड़कन को शायरी समझा जा सकता है
यह दुनिया है ख़्वाब की माने, जागने वाले के लिए
जो देखता है ख़्वाब, वही हक़ीक़त बनाने वाले के लिए
वो जो दिल में है, जुबां पे लाना मुश्किल है
लेकिन इक़बाल ने हर जज़्बा लफ़्ज़ों में संवार रखा है
चलो अपने ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलें
इक़बाल के फ़लसफ़े को दिल में पलें
हर शख़्स में है एक चमकता हुआ सितारा
जो बिदारी से अपनी मंज़िल पाता है
मोहब्बत, ख़ुदी, जज़्बा है जो इक़बाल ने दिया
यही है रोशनी जिससे अँधेरा मिटा
तू उठ, तू जाग, ये ख़्वाब देखने का वक़्त है
तेरी कामयाबी का यही असली वक़्त है
यही है वो राह जो हर दुख से निकालें
जो मंज़िल तक ले जाए बिना किसी थकान के
ख़ुदी है वो रोशनी जो दिल को जगाती है
जो राहों में अँधेरा हो उसे मिटाती है
है तल्ख़ी ज़िंदगी की यहाँ मगर मयस्सर है
उसके दिल में दवा भी है, ज़हर भी है
ख़्वाबों में भी देखता हूँ हक़ीक़त की झलक
दूर आसमाँ से उतरती हुई कोई किरण है
दिल के ज़ख़्म को भी मुस्कुराना सिखा दिया
जैसे दर्द भी एक गाना सिखा गया हो
उठा है फिर वही तूफ़ान जो था कभी पहले
अंदर की आग ने फिर सुलगना शुरू किया है
तेरी मुहब्बत ने सिखाया मुझे जीना
वरना मैं तो बस एक साया था, एक सीना
इक़बाल की आवाज़ में जादू सा है कोई
जो हर दिल को छू जाता है, हर सूखते हुए फूल को जीता है
ख़ुदी को देखो तो सूरज की तरह चमकती है
हर इक़बाल की शायरी में बस यही दमकती है
जब हवा का रुख़ बदला, तो सागर ने भी ज्वार बदला
इक़बाल की सोच ने दिलों का रुख़ भी बदला
तुम बदलो खुद को, ये ज़माना खुद-ब-खुद बदलेगा
इक़बाल का ये पैगाम हमेशा दिलों में गूंजेगा
ना था जब कुछ भी, तब भी इक़बाल था
अब भी है, तो हर ज़ख़्म को एक नयी राह दिखाता है
आंखों में आसूं लेकर भी मुस्कुराना है
ये वक़्त की मार है, जो सबक सिखाना है
बचपन की तरह सरल हैं इक़बाल के अल्फाज़
जो दिल को छू जाएं और कर दें होशियार
सपनों को हकीकत बनाना ही ज़िंदगी है
इक़बाल की शायरी में यही तो कहानी है
कभी गिरकर संभलना, यही तो असल ताक़त है
इक़बाल ने हर क़दम पर दी ये सीख नई
उम्मीद की लौ जलाए रख, चाहे हो अंधेरा कितना
इक़बाल की बातें बन जाएं तुम्हारे सहारा का सितारा
ख़ुदी की पहचान है इंसानियत की असली जीत
इक़बाल ने ये सच दिलों में बिठा दिया है
शायरी के हर लफ़्ज़ में है जज़्बा और जुनून
इक़बाल की बातों में छुपा है असली नूर
हौसलों की उड़ान है इक़बाल की कविताएं
जो गिरते हुए सपनों को भी आसमां से मिलाए
रहमत की बूंदें हैं इक़बाल के अशआर
जो सूखे दिलों को बहारों की तरह नहलाए
ज़िंदगी को समझो, इक़बाल से सीखो जीना
हर तकलीफ़ में भी ढूंढो खुशी की रौशनी
ना हो डर किसी मुश्किल से, ना हो घबराहट कभी
इक़बाल ने बताया है कि जीत है दृढ़ इच्छाशक्ति
ख़ुदी के झंडे को बुलंद रखना हर वक़्त
इक़बाल की सीख है, जिसे दिल से मानना है
कभी न हार मानना, यही है इक़बाल का मंत्र
जो चलता रहा मंज़िल तक, बन गया इतिहास का केंद्र
दिल में भरोसा रख, उठ खड़ा हो फिर से
इक़बाल की शायरी है तेरी ताक़त का बेस
ज़माने की हवा से लड़ना सिखाता है इक़बाल
ख़ुदी की पहचान से ही मिलती है कमाल
हर मुश्किल राहों को आसान बनाना है
इक़बाल की बातों को अपने दिल में सजाना है
ना हो कभी कमज़ोर, ये है इक़बाल की दुआ
जो दिल में होती है, बन जाती है रौशनी का सुआ
ख़ुदी की आग को बुझने न देना कभी
इक़बाल की कविता में है ये सीख सही
जीवन की हर जंग में बढ़कर हिस्सा लेना
इक़बाल ने यही तो कहा है सच्चा होना
जो अपने आप को पहचाने, वो ही तो विजेता है
इक़बाल की शायरी में छुपा है ये राज़ सच्चा है
मुश्किलें आएंगी, पर झुकना नहीं
इक़बाल की शायरी देती है ये हिम्मत, यही सही
हर कदम पर खुद को साबित करना है
इक़बाल की बातें बनें तेरी ताक़त का सहारा
दिल को मजबूत रख, रास्ता अपना बना
इक़बाल की कविता में है जीत का सपना
ना हो कभी निराश, ना हो कभी डरता
इक़बाल की सीख है, जो हमेशा प्रेरित करता
ख़ुदी की उड़ान को आसमां तक पहुंचाना
इक़बाल ने हमें यही तो दिखलाना
ज़िंदगी के सफर में मुस्कुराते रहना
इक़बाल की कविताएं देती हैं ये सबक हमें हमेशा
हर मुश्किल को आसान बना लेना
इक़बाल की बातें दिल से अपना लेना
तेरे अंदर छुपा है वो सागर का जज़्बा
इक़बाल की शायरी बन जाए तेरा सबक और वज़्ना
जो गिरते हैं, वे ही तो ऊंचाई पाते हैं
इक़बाल की कविता यही तो कहती है बार-बार
राहों में कांटे आएंगे, पर हारना नहीं
इक़बाल की सीख यही है, जिसे अपनाना चाहिए
ख़ुदी की ताक़त को पहचान, दुनिया बदल डाल
इक़बाल के शब्दों में है ये कमाल
आज़ादी की आवाज़ है इक़बाल की शायरी
जो हर दिल को करे जज़्बा से भरपूर
सपनों को साकार करने की जिद्द है इक़बाल
जो हर इंसान को बनाती है महान और मिसाल
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी رضا क्या है
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
ख़ुदी का सर निहाँ लाअल्लाह इल्लल्लाह
ख़ुदी है तग़-ए फ़साँ लाअल्लाह इल्लल्लाह
तू शाहीन है, परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमां और भी हैं
ना था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
डूबोया मुझको होने ने, ना होता मैं तो क्या होता
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे
रह-ए इश्क़ में हर कदम पे मरना है लाज़िम
धूप में जलना है लाज़िम, खून में नहाना है लाज़िम
ना किसी की दुआ का मुहताज हूँ ना किसी की सदा का
मेरी मंज़िल है सहाराओं की गूँज में कहीं
आतिश-ए दिल हूँ, मुझे बुझाना न चाह
मैं हूँ वही जो मेरा ज़माना न चाहे
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
इसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
अपनी जात का ताज मेरा सर है
ग़ैर की बातों का असर नहीं मेरे अंदर है
इल्म की दुनिया में इक़बाल ने چرाग़ जलाया
अंधेरों को वही राह दिखाता आया
कभी ख़ुदी को न कमज़ोर समझो
यही है तुझ में खुदा की कुदरत का इज़हार
ना था तो कुछ ना था, ख़ुदा था
अब भी हूँ, तो ख़ुदा के निशाँ हूँ मैं
जिसने भी है दिल में उम्मीद जगाई है
यहीं की है तक़दीर में रोशनी लाई है
चराग़-ए दिल जलता है रोशनी के लिए
यही है ज़ीस्त की असल ख़ूबी के लिए
आओ कि तज्दीद-ए ज़िंदगी है वक़्त
हुआ है मौसम भी जवानी का
ख़्वाब वो नहीं जो हम सोते हुए देखें
ख़्वाब वो हैं जो हमें सोने न दें
ताक़त-ए परवाज़ रख, उड़ता जा अफ़ाक़ से आगे
तेरी मंज़िल में हैं बहुत से ख़्वाब सजाए हुए
वही जीता है जो रुका नहीं कभी
वही आया है जो रुका नहीं कभी
ना झुको कभी, ना घबराओ, ना डर
यही है तेरा नसीब, यही है तेरा घर
मोहब्बत की राह में जो भी आया
धूप भी सहा, तूफ़ाँ भी सह गया
क़ौवत-ए अक़ल को जगा, रोशनी बना
दुनिया को अपना ख़राज़-ए-इक़ीदत दे
ख़ामोशी में भी एक सदाए दिल है
जो इक़बाल की शायरी में बदला है
वही कमाल की है जो अपने आप से लड़े
और हर दम अपने आप को बेहतर बनाए
ना हो ग़रां तेरा ग़म किसी मालिक के लिए
दरिया में है तूफ़ाँ, तूफ़ाँ के लिए
वही कामयाब है जो खुद को पहचान ले
इक़बाल की शायरी यही तो बताती है
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि परवाज़ कर सके
पहाड़ों से बुलंद, आसमां के पास जा सके
मोहब्बत की ज़ुबां में सब कुछ कहा जा सकता है
दिल की हर धड़कन को शायरी समझा जा सकता है
यह दुनिया है ख़्वाब की माने, जागने वाले के लिए
जो देखता है ख़्वाब, वही हक़ीक़त बनाने वाले के लिए
वो जो दिल में है, जुबां पे लाना मुश्किल है
लेकिन इक़बाल ने हर जज़्बा लफ़्ज़ों में संवार रखा है
चलो अपने ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलें
इक़बाल के फ़लसफ़े को दिल में पलें
हर शख़्स में है एक चमकता हुआ सितारा
जो बिदारी से अपनी मंज़िल पाता है
मोहब्बत, ख़ुदी, जज़्बा है जो इक़बाल ने दिया
यही है रोशनी जिससे अँधेरा मिटा
तू उठ, तू जाग, ये ख़्वाब देखने का वक़्त है
तेरी कामयाबी का यही असली वक़्त है
यही है वो राह जो हर दुख से निकालें
जो मंज़िल तक ले जाए बिना किसी थकान के
ख़ुदी है वो रोशनी जो दिल को जगाती है
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